इस मंदिर की एक खासियत है और वो है इसका प्रसाद, जिसे सिर्फ राजस्थानी नुस्खा ‘चुरमा’ के रूप में बांटा जाता है और यह चीनी, आटा और घी से बनाया जाता है | यह प्रसाद भक्तों के बीच नहीं बांटा जाता, यह केवल मूर्त को भोग लगाने के लिए बनाया जाता है। हनुमान जयंती के अवसर पर इस मंदिर में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं और ये यहां की अच्छी चीजों में से एक है जो यहां अनुभव की जा सकती हैं।
पुनरासर बालाजी का इतिहास
आज यह मंदिर अपने कई ऐतिहासिक प्रतिष्ठाओं के साथ अपने धार्मिक धरातल पर पहुँच गया है और ये ऐसी प्रसिद्ध कहानी है जो उस समय की पौराणिक कथा मानी गयी है। माना जाता है कि यह मंदिर स्थानीय लोगों द्वारा सुनाई जाने वाली कहानीयों के बाद एक परिवार द्वारा चलाया जाता है। माना जाता है कि वर्ष 1774 में पूनरासर में एक बड़ा अकाल पड़ा था| लोग भोजन और धन की तलाश में गांव से बाहर जा रहे थे, लेकिन उस समय जयराम दास बोथरा नाम का एक आदमी जो खाने की तलाश में वह पंजाब गया था | जब वह ऊंट द्वारा अपनी यात्रा आरंभ कि तब उस ऊंट का एक पैर टूट गया जिस कारण वह चलने में असमर्थ हो गया| उस व्यक्ति में अपने साथी से रूककर आराम करने के लिए कहा क्योंकि ऊंट अनाज को ले जाने में असमर्थ था। जैसे ही वह सोया, उसे एक आवाज सुनाई दी उसे लगा कि कोई उसे बुला रहा है, परन्तु उसे वहां कोई नही दिखा | और वह भगवान हनुमान को याद करने लगा| वह उनसे पूछने लगा कि यह किसकी आवाज़ है जो उसे बुला रही है| तब भगवान हनुमान वहां एक पंडित के रूप में प्रकट होते है और उसे कहते है कि ‘हे भक्त तू भयभीत न हो क्योंकि अब तुझे कोई परेशानी नहीं होगी | उन्होंने हनुमान की मूर्ति की ओर इशारा करते हुए बोथरा से कहा कि वह जहां भी जाये वहां इस मूर्ति को अपने साथ ले जाये और गांव में एक मंदिर बनाकर इसे स्थापित करें | यह गांव की सभी समस्याओं को दूर करेगी बोथरा ने पंडित को कहा कि उसका ऊंट घायल हो गया है और वह आगे नहीं जा सकता, लेकिन पंडित उससे कहता है कि यह ऊंट बिलकुल ठीक है और वह अपनी यात्रा को जारी कर सकता है, तभी बोथरा ऊंट देखकर चकित हो जाता है कि ऊंट बिलकुल ठीक था, और वही रुककर मूर्ति को स्थापित करता है | गांव में जाकर मंदिर बनाता है जो राजस्थान में प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों में से एक है ।
तब से मंदिर का रख-रखाव बोथरा के परिवार के सदस्यों द्वारा किया जा रहा है और बोथरा के उत्तराधिकारी नियमित रूप से इस मंदिर और भगवान हनुमान की मूर्ति की भी देखभाल कर रहे हैं और यह राज्य का तीर्थ स्थल है।