राजस्थान पर्यटक गाइड

राजसमंद झील

User Ratings:

राजसमंद झील को 'राजसमुदरा झील' के रूप में भी जाना जाता है। यह 1660 में महाराणा राज सिंह जी द्वारा बनायी गयी थी। राजनगर और कनकरोली के बीच स्थित यह झील उदयपुर के उत्तर में सिर्फ 66 किलोमीटर की दूरी पर है। राजसमंद झील गोमती, केल्वा और ताली नदियों में फैली हुई है और लगभग 510 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है। यह लगभग 1.75 मील (2.82 किमी) चौड़ी, 4 मील (6.4 किमी) लंबी और 60 फुट (18 मी) गहरी है।

राजसमंद झील पर, 17 वीं शताब्दी में बना एक बड़ा बांध भी आकर्षक और उपयोगी है। झील तटबंध पर ‘नौचौकी’ है जिसका अर्थ है 9 मंडप जिसे महाराणा राज सिंह जी द्वारा बनाया गया था। इन भव्य मंडपों पर सूर्य, रथ, देवताओं, पक्षियों और अन्य कलात्मक चित्रों  को कलात्मक रूप से बनाया गया हैं। यहाँ संगमरमर से बनी 27 पट्टियोँ है जो मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास  को अंकित करती है। भारत की सबसे लंबी नक्काशी   पर 1017 छंद हैं जिसे ‘राज प्रसस्ति’ कहा जाता है। इसकी दक्षिणी तटबंध पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बना है, जिसमें झील को छूते हुए पत्थरों के कदम है। इसमें प्रसिद्ध पांच तोरण (वजन वाले मेहराब) भी है, जहां महाराणा राज सिंह और उनके वंशज तुलादान के कार्यक्रम का आयोजन करते थे (राजा ने खुद को सोने में तौलना और फिर इसे ब्राह्मणों को दान किया)।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, राजसमंद झील छह वर्षों के लिए इंपीरियल एयरवेज के समुद्री आधार के रूप में भी इस्तेमाल की गयी थी।

सूर्यास्त इसकी सुंदरता को और बढ़ाता है क्योंकि इसके झील का पानी अद्भुत रूप से चमकता रहता है। कंक्रोली और कुम्भलागढ़ के रास्ते से जाते समय राजसमंद झील के शानदार दृश्यों का आनंद ले सकते है।

राजसमंद झील का स्थान

यहां नियमित रूप से बसों और उदयपुर से अन्य माध्यम हैं जो  सिर्फ 66 किमी  की दूरी पर है।

Rajasmand-Lake

Rajasmand-Lake

Comments are closed.