राजस्थान पर्यटक गाइड

नक्की झील, माउंट आबू

User Ratings:

माउंट आबू में नक्की झील राजस्थान के प्यार को सच में दर्शाता है। माउंट आबू के प्रेम झील के रूप में नामित, यह भारत के 11,000 मीटर की ऊंचाई पर सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है। यह राजस्थान के ग्रेसिया जनजातियों की एक पवित्र झील भी है और शुक्ल पक्ष में त्यौहारों के समय जो अप्रैल माह में आता है, यह उनके पूर्वजों की पूजा और स्मरण करने का स्थान है। लोग इस त्यौहार पर झील में अपने नाखून को समर्पित करते हैं। इसी कारण से इस झील का नाम 'नक्की' पड़ा।

नक्की झील का इतिहास

नक्की झील की लंबाई लगभग आधा मील है और इसकी मील की चौथाई और दूरी पर भी काफी मजेदार इतिहास है। एक ऐतिहासिक कहानी बताती है कि दैत्य ‘बाश्काली’ से सुरक्षित रहने के लिए इसे देवताओं द्वारा नाखूनों से खोदा गया था। एक और रोमानी इतिहास रसिया बालम का था, दिलवाड़ा जैन मंदिर की एक मूर्ति और राजा की बेटी जिसका नाम  कुंवरी कन्या था। राजा ने एक शर्त रखी कि जो एक रात में झील के खुदाई की  करेगा तो वह अपनी बेटी का विवाह उस एक साथ करेगें। माना जाता है कि रसिया बालम ने अपने नाखून से रात भर झील खुदाई कर ली। बाद में रानी ने अपनी बेटी की शादी करने से इनकार कर दिया।

कुछ लोगों का मानना ​​था कि रसीया बालम एक वृद्ध ऋषि थे और भगवान शिव के अवतार थे और किशोर माँ पार्वती के अवतार थे। विश्वासघात के कारण, वे फिर से अपने प्यार को पूरा करने के लिए वापस आएंगें।  प्रसिद्ध कविता ‘लॉस्ट लव’ उनकी कहानी को दर्शाता  है।

प्रेम जो मिल न सका कभी

ये अटूट प्रेम ही तो था (उसका)

प्रेम जो था उसका अन्नत और असीमित

था परम ध्येय जिसका, उस प्रेम को पा जाना

सब कुछ लगा के डाव पर, हर अग्निपरीक्षा से गुजर जाना|

थी विरह की वेदना  के आगे, व्यर्थ की साडी पीडाएं |

थी पहाड़ सी चुन्नोती, फिर भी ह्रदय न घबराया|

खून से लतपथ हाथों से, एक ही रात्री में पूरी शील को बनाया|

पर प्रेम के बैरी थे वे ऊँचे घरानों वाले|

थे विश्वश्घती वे, झूठे थे उनके वादे

खिंच दी उनके बीच में, ऊँच-नीच की झूटी दीवारे|

न सजी विवाह की वेदी, न हुआ मंगलाचार

धूमिल हुए स्वप्न सारे, टूट गये दो दिल बेचारे

(मिल नहीं पाए दो पवित्र प्रेम करने वाले)

है पवित्र प्रेम नहीं सांसारिक बंधन का मोहताज

मर कर भी जो न मिटता ये है ईश्वर का दिव्य वरदान |

नक्की  झील के पास के आकर्षण

रियासी बालाम और कुंवारी कन्या (राजा की बेटी) का मंदिर दिलवाड़ा जैन मंदिर के पीछे स्थित है।

नक्की झील के आसपास बहुत ही शांत और रोमांटिक वातावरण है। श्री रघुनाथजी मंदिर, टॉड रॉक और माउंट आबू में महाराजा जयपुर पैलेस इसके बहुत करीब हैं। बैंडिट्स प्यार, सूर्यास्त इसके निकट स्थित है 12 फरवरी 1948 को, महात्मा गांधी की अस्थियों को  नक्की झील में विस्रजित किया गया था और इसके साथ में ही गांधी घाट बनाया गया था।

नक्की झील में नौकाविहार

माउंट आबू में नक्की झील पर नौकायान की सुविधाएं उपलब्ध है। यह झील का मुख्य आकर्षण है और इसकी एक बार जरूर करना चाहिए। यह एक अच्छी जगह है जहां आप झील की शांति और हिल स्टेशन का आनंद ले सकते हैं।

नौकाविहार का समय : सुबह 09:30 –  अपराह्न 06:00 तक

Nakki-Lake-Mount-Abu

Nakki-Lake-Mount-Abu

Comments are closed.